ख़ामोशी
क्यों ख़ामोशी है इतनी दरमियान
क्या कुछ खो गया है?
रुक रुक कर चल रहे है
या चलते चलते रुक जाते है अरमान यहाँ?
ये कैसी ज़िन्दगी है?
जहा हँसी भी ठंडी होती है
और सपने बेरंग |
©डॉ रश्मि जैन
क्यों ख़ामोशी है इतनी दरमियान
क्या कुछ खो गया है?
रुक रुक कर चल रहे है
या चलते चलते रुक जाते है अरमान यहाँ?
ये कैसी ज़िन्दगी है?
जहा हँसी भी ठंडी होती है
और सपने बेरंग |
©डॉ रश्मि जैन
Wow
ReplyDeleteThank you so much
DeleteAmazing
ReplyDeleteThank you
Delete👌👌👌👌👌
ReplyDeleteThank you
DeleteExcellent poem����
ReplyDeleteThank you anupriya
Delete
ReplyDeleteExquisite poem
Thank you
DeleteExquisite poem
ReplyDeleteThank you
DeleteWow nice
ReplyDelete