ओस की बूँद
कोहरे की चादर में लिपटी
ओस की बूंद
चमकती है ऐसे जैसे
गहरे समंदर में सीप के मोती
किसी आयत की तरह
अपनी मुकम्मल मंजिल की
तलाश करती
© Dr. Rashmi Jain
Poem from my collection entitled 'Safar'
कोहरे की चादर में लिपटी
ओस की बूंद
चमकती है ऐसे जैसे
गहरे समंदर में सीप के मोती
किसी आयत की तरह
अपनी मुकम्मल मंजिल की
तलाश करती
© Dr. Rashmi Jain
Poem from my collection entitled 'Safar'
Nice content
ReplyDeleteThank you so much
DeleteBehtareen nazariya
ReplyDeleteShukriya
Delete