Saturday, March 18, 2023

Itni si baat


Baat bus itni si hai
Jo ho napasand agar toh, 

nikle hazaro kamiya,
Ho agar pasand apni toh,

 lakho aaib bhi maaf.

Friday, December 11, 2020

गुड़िया

 


 

आज उस नन्ही गुड़िया को

 गुड़िया देने में डर लगता है ,

कहीं तुम इतनी नाजुक ना बन जाना,

कहीं तुम इस जैसी बेजुबान मत बन जाना,

ना बनना तुम किसी के हाथों की कठपुतली

 आज डर लगता है मुझे

 तुम कोई चीज बन कर ना रह जाना,

कोई सामान

 जो एक कमरे  के कोने में पड़ा रहे,

 किसी के घर को सजाने वाली रोशनी मत बन जाना

कि कोई भी तुम्हें भरमा सके, ऐसी

कमजोर मत बन जाना,

ना तुम्हें पत्थर ना मोम बनना है

 तुम्हें तो वज्र की तरह अभेद्य बनना है,

 ना तुम्हें गूंगी गुड़िया

 ना चाभी वाला खिलौना बनना है

 तुम्हें एक आजाद परिंदे की तरह

 अपनी उड़ान भरना है,  

 तुम उस पौध सी हो जिसको

 धूप, पानी, हवा, आजादी दे सीचा है मैंने अपने लहू से

तुम बढ़ना और आगे बढ़ना

रास्तों की रुकावट को पार करते हुए

बस चलना और

 अपनी रोशनी से दूसरो को जीने का संबल देना,

 तुम अपने में खास हो

कुछ तुम जैसी और मिलेगी तुमको

 उनका हाथ थामे  नयी क्यारियां रोपना

जो महकाएंगी दुनिया के आंगन को

अपने अतरंगी सपनों से,

उनमें रंग भरकर मजबूती से अपनी,

एक नया आसमान छूने को अग्रसर होना

 जो बदलेगी दुनिया का चेहरा,

 तब शायद मेरे जैसों को डर नहीं लगेगा

 तब शायद मेरे जैसों को डर नहीं लगेगा,

 तब शायद कोई एक गुड़िया को गुड़िया देने से पीछे नहीं हटेगा


This poem is from my poetry collection Alfaaz published in 2020

Thursday, December 10, 2020

अलफ़ाज़

 

अलफ़ाज़

यह अलफ़ाज़ ही तो है जो तुम्हें

मुझ तक और

 मुझे तुम तक ले जाते हैं,

मेरे दिलो-दिमाग का आईना बन

 दर्शाते हैं मेरा प्रतिबिंब,

यह अल्फाज ही तो मेरी शख्सियत हैं

 जो गुमनामी के अंधेरों से

 मेरा हाथ थामे ले आए हैं मुझे रोशनी तक,

एक परछाई की तरह मेरा साथ देते हैं

हर एहसास को दिल से बयां करते,

यह जो सुनाई देती हूं ना मैं, या

जो पढ़ते हैं मुझे,

 अल्फ़ाज़ों की ही तो नेमत है

 वरनासबाल्टर्न’ की कोई जुबान होती है क्या?

 इन्हीं अल्फ़ाज़ों ने आवाज दी है मुझे

  वरन एक स्त्री का बोलना किसे पसंद है,

 हां, इन अल्फाजों ने मुझे आजादी दी है

उन तमाम बंदिशों से, सोच के दायरों से, समाज से उपजी कुंठाओ से जो

स्त्री को मूक मानते हैं,

 जिनके लिए स्त्री पूज्य तो है पर शायद परिपक्व और परिपूर्ण नहीं

 यह अल्फाज ही मेरी धरोहर है,

 मेरा वंश है,

जो मेरे जाने के बाद भी

मुझे जीवित रखेंगे

 कहीं ना कहीं,

 किसी ना किसी के मानस पटल पर या अंतर मन में,

 जो अल्फ़ाज़ आज मेरी ताकत है

 कल शायद यह किसी और को वह उर्जा दें

जो इसने मुझे दी है

बड़ी ताकत है इन अल्फाजों में

माद्दा रखते हैं गहराइयों तक ले जाने का

या पंखों को उड़ान देने का,

जिंदगी बदलने की ताकत रखते हैं अल्फ़ाज़,

बस इन्हें सुनना जरूरी है, मन से |

 *This poem is from my hindi poetry collection Alfaaz published in 2020

Friday, June 5, 2020


Haiku I

Glossy winter’s snow
Absolute barrenness and
death’s hunger ahead.

.© Dr Rashmi Jain






Haiku II

Ripples in the dune
Dances amidst the desert
Like eel in water.
© Dr Rashmi Jain



* Pictures are taken from Google

Monday, May 18, 2020

सफर

साथ तो था पर
सफर, किनारो सा था
चल रहे थे कदम मिला
फिर भी मीलो का फासला था

© Dr Rashmi Jain

*Picture is taken from Google



Friday, May 8, 2020

Shore
The shrieking silence of the shore is broken,
when a lonely heart walks along it.
The roar of sea waves conceals the heart break.
The shore witnesses unlimited memories.
Glistening joys and aching pain.
Kaleidoscope of emotions,
 exist on the same plane.
 Life goes on that way,
 intertwining pleasure and pain.
Pearls are cocooned in oyster shell,
Layers of mysteries have to be unravelled to
reach the real treasure.

 © Dr Rashmi Jain

*Picture is taken from Google

Tuesday, May 5, 2020


Shooting stars
The serene black beauty of the night
Penetrated deep down the heart creating
a vacuum.
Took me on an inner voyage,
I found myself standing on the edge of an ocean watching shooting stars.
The quiescent beauty created emptiness,
As if something is breaking down inside me.
Tears roll down my cheeks,
I wondered does God also cry,
Watching human suffering and misery.
There was brightness outside and darkness inside
But wait a minute!
 Hope arrives the moment
I made a wish to the falling stars
With a belief that my wish will be granted as
Stars too know the pain of falling down.


© Dr Rashmi Jain

*Picture is taken from Google